
Share0 Bookmarks 220 Reads2 Likes
उसे पसंद था बातें करना
उनसे
जो नहीं रखते हैं
क़ैद अपने हृदय को
पसलियों के भीतर
जो, जब बोलते हैं
तो उनका हृदय
होता है उनकी जिह्वा पर
और जब सुनते हैं
वो तुम्हारी बातें
तो कान ले लेते हैं
रूप उनके हृदय का ।
इसलिए
जब कोई न होता
आस पास सुनने के लिए
वो आवाज़ देती थी
ईश्वर को
और करती थी उनसे
बतकही अनकही ।।
मुझे भी पसंद था बातें करना
उनसे<
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments