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मैंने लिया अपने जीवन
का पहला निर्णय
जब मैं ब्रह्म का एक अंश थी
मुझे चुनना था
प्रेम और करुणा में से एक को
और मैंने चुना करुणा को
मैं सोचती थी करुणा है
प्रेम से अधिक आवश्यक ।।
फिर मुझे लगा
निर्णय की स्थिति आती है
जब अनेक विकल्प हों
मैंने फिर एक निर्णय लिया
मैं अपने जीवन को
नहीं बांधूंगी
विकल्पों में ।।
पर मैंने जाना कि
कभी कभी जीवन भी <
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