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ख़ुदा तू मिले कहीं तो तेरा हाल पूछूं
जो ज़ेहन में हैं मेरे वो सवाल, पूछूं।
मैं समंदर था तो मैं प्यासा ही रहा
तू तो दरिया था तू क्यों है बेहाल, पूछूं ।
मालूम था हमें कि वक़्त टिकता नहीं कभी
घड़ी पर लगे क्यूं बेवजह ये इल्ज़ाम, पूछूं ।
चेहरे बदल बदल कर मिलते हैं यहां लोग
जिससे मिले सुबह क्या उसी से मिले शाम, पूछूं ।
एक घर की तलाश में निकला हूं मैं घर से,
क्या होगा इस सफर का अंजाम, पूछूं ।।
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