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ये अंधेरा उस अंधेरे से अलग था
जहां से मैं आई थी
इस अंधेरे में निर्दयी ठंडक थी
भय था जीवन के अंत का ।
उस अंधेरे में भी नहीं दिखता था कुछ
पर वहां ऊष्मा थी
प्रेम की,
एक जीवन डोर थी
जिससे जुड़ा होना
संकेत था मेरे जीवित होने का ।
पता नहीं
मेरे हृदय में स्पंदन था या नहीं
पर एक ध्वनि निरंतर
मुझे आश्वासन देती थी
कि एक जीवन
मेरी प्रतीक्षा में है ।
फिर एक दिन सुने
मैंने सुने शब्द
जिनके अर्थ मुझे ज्ञात नहीं थे
मेरी तरह मेरा ज्ञान भी संकुचित था ।
भाषा और व्याकरण
नह
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