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मैं नहीं हूं किसी बसंत की प्रतीक्षा में
जिसके आने पर ही खिले कुसुम
और कूके कोयलें ।
पीत वर्ण ओढ़े तुम्हारा चेहरा
और तुम्हारी आंखों में चमकती
पीली धूप मुझे मिला देती है
हर दिन बसंत से ।
जब तुम्हारे कपोल
हल्की सी ठंड में होते हैं
गुलाबी और लाल
तो खिलते हैं गुलाब&nb
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