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तुम किसी दिन जाना खुले आसमान के तले
और देखना दूर क्षितिज की ओर
तुम देखना
कैसे धरती अपने पैरों पर उचक कर
छीन लेती है अपने हिस्से का आकाश ।।
तुम बह जाना एक रोज़ किसी नदी के साथ
और गिरना उसके साथ अथाह समंदर में
तुम देखना
कैसे मिलते हैं नदी के दो किनारे
और लेते हैं आकार विशालकाय समंदर का ।।
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