
Share0 Bookmarks 404 Reads5 Likes
तुम किसी दिन जाना खुले आसमान के तले
और देखना दूर क्षितिज की ओर
तुम देखना
कैसे धरती अपने पैरों पर उचक कर
छीन लेती है अपने हिस्से का आकाश ।।
तुम बह जाना एक रोज़ किसी नदी के साथ
और गिरना उसके साथ अथाह समंदर में
तुम देखना
कैसे मिलते हैं नदी के दो किनारे
और लेते हैं आकार विशालकाय समंदर का ।।
एक दिन तुम चलना रेल की पटरियों के समानांतर
और तय करना उनके साथ एक सफर
तुम देखना
कैसे ये पटरियां बदल लेती हैं अपने रास्ते
एक नई मंज़िल पर पहुंचने के लिए ।।
जिस दिन तुम ये देख पाओगे
तुम देखोगे
कि असंभव कुछ भी नहीं ।।
~गुंजन
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments