फीका चांद's image
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डर .......

प्रेम की अंगुलियो को थामे 

चलते चलते 

अचानक

आगे बढ़ जाता है 

विद्रूप हंसी हसंता हुआ 


रात उसके पलंग पर 

रख जाता है

कुछ ख्वाब

जिसमें है होती है ,चाह 

थाम कर हथेलियों को 

शब्दों में ढाल सके 

अंतस के अंधेरों को 


बिन बारिश

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