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हम नापते तौलते शब्दों की
झुंझलाहट पर
अपनी चुप्पी साधे
डरी सहमी भाषा में
सर झुकाकर
बीते दिनों की सफहो में
ढूंढते हैं कोई इक बात
जो मिलती जुलती हो
ह
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हम नापते तौलते शब्दों की
झुंझलाहट पर
अपनी चुप्पी साधे
डरी सहमी भाषा में
सर झुकाकर
बीते दिनों की सफहो में
ढूंढते हैं कोई इक बात
जो मिलती जुलती हो
ह
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