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मुनीरी
चाँद से बिखरने वाली रोशनी से
रोशन होती रातो का नाम है मुनीरी
सूरज से निकलने वाली किरन से
चमचमाता जहाँ का नाम है मुनीरी
आसमाँ में अनगिनत तारे भी है
दूरी से रोशनाई दिखाने का नाम है मुनीरी
इज्जत जो हर इंसाँ करता ही रहे
उसी खिदमत का नाम है मुनीरी
इंसाँ एक हूं चाँद की तरह हूँ
जिस दिन बिखर गया रोशन जहाँ मिलेगा
जाओ और बाँट दो मेरे हिस्से की रोशनी
उन्ही अंधेरो को सजाता मेरा नाम मिलेगा
आज रोशन भी कर देंगे वतन हमारा है
रोशन
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