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ग़ुस्सा, नाराज़गी, रुसवाई के लिए
ये मौसम अच्छा नहीं जुदाई के लिए।
बरसों पहले एक मौलवी ने कहा था मुझे
मैं आदमी ठीक नहीं हूँ तन्हाई के लिए।
तेरा पलकें झुकाना, वो धीरे से मुस्कुराना
अदायें अच्छी हैं तेरी रानाइ के लिए।
तेरे सिवा आज कल कुछ नज़र नहीं आता
ये शायद अच्छा नहीं मेरी बीनाई के लिए।
तुझे क्यों निहारता हूँ, क्या बताऊँ?
मेरे पास अल्फ़ाज़ ही नहीं है सफ़ाई के लिए।
~गौरव तिवारी
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