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रेडियो गुनगुनाता था,
गीत दिनभर गाता था,
इक नशा सा रहता था,
वक्त पुराना याद आया,
जब खिड़की खोलने पर,
तुम मुझे टोकती थी,
गुनगुनाने से रोकती थी...
©गोपाल भोजक
#विश्व_रेडियो_दिवस
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रेडियो गुनगुनाता था,
गीत दिनभर गाता था,
इक नशा सा रहता था,
वक्त पुराना याद आया,
जब खिड़की खोलने पर,
तुम मुझे टोकती थी,
गुनगुनाने से रोकती थी...
©गोपाल भोजक
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