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लग गई नज़र मेरे इश्क़ को ज़माने की,
ज़ख़्म जो भर गये थे फिर से हरे हो गये।
सब तरफ रौनके है महफ़िल भी सजी हुई,
जो मिला था कभी मुझे वो जुदा हो गया।
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लग गई नज़र मेरे इश्क़ को ज़माने की,
ज़ख़्म जो भर गये थे फिर से हरे हो गये।
सब तरफ रौनके है महफ़िल भी सजी हुई,
जो मिला था कभी मुझे वो जुदा हो गया।
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