
Share0 Bookmarks 56 Reads1 Likes
बीत गये उम्र के बसंत,
अब वीराने से क्या लोगे।
ढल रहा उम्र का सूरज,
अब रोशनी का क्या लोगे।
कुछ दर्द हमे ऐसे भी मिले,
जो जलेगें नहीं चिताओ में।
उम्र भर जिसको पा न सके,
इस मरघट में अब क्या लोगे।
©गोपाल भोजक
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments