
Share0 Bookmarks 96 Reads0 Likes
ताज़गी से भर गये थे,
जीवन सरस बन गया था,
उन लबों को चूम कर के,
इक नशा सा भर गया था।
No posts
No posts
No posts
No posts
ताज़गी से भर गये थे,
जीवन सरस बन गया था,
उन लबों को चूम कर के,
इक नशा सा भर गया था।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments