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बहुत हसीन दौर था,
बड़ा रंगीन ज़माना था।
निगाहें इश्क करती थी,
वो भी क्या ज़माना था।
लबों पे शौखियां होती थी,
फ़िज़ा भी महका करती थी।
धड़कने बात करती थी,
बड़ा दिलकश ज़माना था।
©गोपाल भोजक
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