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दिल को बहुत तसल्ली दी
आँखों को समझाये कौन।
यारों संग दिन गुज़र जाते है,
रात को हम गुजारे कैसे,
भीगा तकिया समझता रहा,
हमने उसकी बात नही मानी।
जानता हूँ कि तू गैर है लेकिन,
दिल ने कभी ये बात नही मानी।
©गोपाल भोजक
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