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--------- एहसास -------
एहसासों के बिना ज़िन्दगी जितनी खामोश है
उतनी ही खाली --
ज़िन्दगी की आवाज़ हैं एहसास
बहुत ही ख़ास हैं एहसास
दूरियों को छू लेते हैं यूँ लपक के
पल भर में बैठ जाते हैं पास --
खुशियों से सरोबार भी हैं ये
और कभी गुमसुम उदास
ज़िन्दगी की आवाज़ हैं एहसास --
एहसासों के घरोंदों में ही तो
पलते हैं रिश्ते कुछ ख़ास
वरना सोचो !
ज़िन्दगी किस कदर डोलती है बदहवास --
और कभी तो इतनी बोझ
कि जैसे एक ज़िंदा लाश
ज़िन्दगी की आवाज़ हैं एहसास --
रेशम सी डोरी पर चलते हैं ये
मन की डोली में मचलते हैं ये
आहट भर से जग उठते हैं अनायास
ज़िन्दगी की आवाज़ हैं एहसास।
(डा. गोपाल सिंह मेहता)
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