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रंग भरी है सारी दुनिया
रंग भरी है सबकी प्रकृति
अनगिन रंगों में रंगी है
मेरे धरती की मिट्टी
फूलों ने होली खेली
पंछियों ने रंग से नहाया
वर्षा ने पिचकारी भरकर
नदियों में अमृत बरसाया
आसमान में रंग उड़ाकर
सुबह शाम रंगीन हुई है
मुट्ठी भर भर बिखराते रंग
तभी दुनिया रंगीन हुई है
तन का रंग कहीं मन का रंग
प्रिया प्रीतम के संग का रंग
प्रेम का रंग, भक्ति का रंग
उसीमें डूबा हर भाव का रंग
काला भी रंग गोरा भी रंग
सब लिखा भी रंग
कोरा भी रंग
सुख का भी रंग
दुःख का भी रंग
कुछ भी नहीं जो
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