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अंधेरे में खुदको
टटोल भर पाई
सुना था कि वहाँ
आईना भी था सामने
पर खुदको देख तक नहीं पाई
अपने को बहुत जानती हूं
इतना गुमान था
अंधेरों ने मानने से
इन्कार कर दिया
जब मैंने अपनी पहचान बताई
मैं सोचती रही कि
आख़िर कैसे बताऊँ सच
बड़ी देर बाद मुझे ये
बात समझ आई
बिना रोशनी के मैं
भला कैसे दूंगी दिखाई
बिना रोशनी के
मेरे अस्तित्व की
न बन सकेगी कोई परछाईं
आईने में देखने के लिए भी
आँखों के साथ साथ
रोशनी भी चाहिए
खुदको देखने के लिए
मुझे थोड़ी रोशनी चाहिए
थोड़ी रोशनी बाहर
और थोड़ी सी भीतर भी
बाहर की रोशनी इसलिए कि
दूसरे भी मुझे देख सकें
और भीतर की रोशनी
अपने को देखने के लिए
टटोल भर पाई
सुना था कि वहाँ
आईना भी था सामने
पर खुदको देख तक नहीं पाई
अपने को बहुत जानती हूं
इतना गुमान था
अंधेरों ने मानने से
इन्कार कर दिया
जब मैंने अपनी पहचान बताई
मैं सोचती रही कि
आख़िर कैसे बताऊँ सच
बड़ी देर बाद मुझे ये
बात समझ आई
बिना रोशनी के मैं
भला कैसे दूंगी दिखाई
बिना रोशनी के
मेरे अस्तित्व की
न बन सकेगी कोई परछाईं
आईने में देखने के लिए भी
आँखों के साथ साथ
रोशनी भी चाहिए
खुदको देखने के लिए
मुझे थोड़ी रोशनी चाहिए
थोड़ी रोशनी बाहर
और थोड़ी सी भीतर भी
बाहर की रोशनी इसलिए कि
दूसरे भी मुझे देख सकें
और भीतर की रोशनी
अपने को देखने के लिए
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