
Share0 Bookmarks 55 Reads0 Likes
अंधेरे में खुदको
टटोल भर पाई
सुना था कि वहाँ
आईना भी था सामने
पर खुदको देख तक नहीं पाई
अपने को बहुत जानती हूं
इतना गुमान था
अंधेरों ने मानने से
इन्कार कर दिया
जब मैंने अपनी पहचान बताई
मैं सोचती रही कि
आख़िर कैसे बताऊँ सच
बड़ी देर बाद मुझे ये
बात समझ आई
बिना रोशनी के मैं
भला कैसे दूंगी दिखाई
बिन
टटोल भर पाई
सुना था कि वहाँ
आईना भी था सामने
पर खुदको देख तक नहीं पाई
अपने को बहुत जानती हूं
इतना गुमान था
अंधेरों ने मानने से
इन्कार कर दिया
जब मैंने अपनी पहचान बताई
मैं सोचती रही कि
आख़िर कैसे बताऊँ सच
बड़ी देर बाद मुझे ये
बात समझ आई
बिना रोशनी के मैं
भला कैसे दूंगी दिखाई
बिन
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments