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हम सब किताब हैं
हमें हर रोज़ कई लोग
पढ़ते हैं और
हम भी किसी न किसी को
पढ़ते ही रहते हैं
कुछ किताबों के पन्ने
उलट-पलट कर हमें
बिना पढ़े रख देते हैं
कुछ की तस्वीरें देखकर
कुछ के टाईटल पढ़कर
हम उसका बिना पढ़े ही
अंदाज़ा लगाकर
और कुछ को बस
देखकर ही समझ लेते हैं कि
पढ़ने लायक है भी कि नहीं
यूँ समझो कि बिना
हमें हर रोज़ कई लोग
पढ़ते हैं और
हम भी किसी न किसी को
पढ़ते ही रहते हैं
कुछ किताबों के पन्ने
उलट-पलट कर हमें
बिना पढ़े रख देते हैं
कुछ की तस्वीरें देखकर
कुछ के टाईटल पढ़कर
हम उसका बिना पढ़े ही
अंदाज़ा लगाकर
और कुछ को बस
देखकर ही समझ लेते हैं कि
पढ़ने लायक है भी कि नहीं
यूँ समझो कि बिना
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