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खुला आसमान पाने को जी चाहता है
उम्मीदों की पतंगें उड़ाने को जी चाहता है
रिश्तों की डोर कहीं उलझ ना जाए
उन्हें सुलझाने को जी चाहता है
ख्वाहिश है पतंग संग मैं भी उड़ के देखूं
ज़मीं के रंगी नज़ारे ज़रा मैं भी देखूं
रंगों में खो जाने को जी चाहता है
नहीं हूंगी परेशां अगर कट भी जाऊं
किसी बच्चे के हाथों अगर लुट भी जाऊं
जिसे भी मिलूं उसे खुशी देने को जी चाहता है
सकूं देने और सकूं ही पाने को जी चाहता है
बहुत ही खुश हूं भगवन् तेरी रहमतों से
तुझे ही तुझे पाने को जी चाहता है
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