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मुकम्मल जिंदगी का दाव खुद ही ढूंढना पड़ता है..
उसके लिए माँ के पांव को चूमना पड़ता है..
जब तक पास था माँ काजल लगाया करती थी..
अब तो कुछ दूर देखने के लिए चश्मा लगाना पड़ता है..
मेरा खयाल रखने मे इतना मशगूल रहती है..
तुम्हे बुखार है ये भी मुझको बताना पड़ता है..
उसके लिए माँ के पांव को चूमना पड़ता है..
जब तक पास था माँ काजल लगाया करती थी..
अब तो कुछ दूर देखने के लिए चश्मा लगाना पड़ता है..
मेरा खयाल रखने मे इतना मशगूल रहती है..
तुम्हे बुखार है ये भी मुझको बताना पड़ता है..
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