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तू आये तो सवेरा हो जाये, अन्धेरे में उजाला हो जाये,
साँसें मेरी दम तोड़ रही थी, मेरे जी में जान आ जाये
दिन लागे बहुत लम्बे , और रातें डरावनी, कटते ना कटे,
जिनमें तू है उन सपनों के लिये दिन में भी नींद आ जाये
सूखेमें बहारें उजड़ीं थीं, सहरामें गुल-ओ-गुलिस्ताँ खिल जाये,
भीड़में मैं हो गया था अकेला, अकेलेसे ही महफ़िल जम जाये
गुमशुदा हूँ बज्म-ए-रहबरोंमें, तू आये तो मन्झिल नज़र आये,
ज़िन्दगीका सफर है लम्बा, तू आये तो हंसते खेलते कट जाये
तेरा हाथ मेरे हाथ में हो, ज़िन्दगी भर तेरा हसीन साथ हो,
इन ख़िलाफ़-ए-कियास ख़यालोंसे भी दिल बहल जाये
इब्न ए बब्बन
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