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तू आये तो सवेरा हो जाये, अन्धेरे में उजाला हो जाये,
साँसें मेरी दम तोड़ रही थी, मेरे जी में जान आ जाये
दिन लागे बहुत लम्बे , और रातें डरावनी, कटते ना कटे,
जिनमें तू है उन सपनों के लिये दिन में भी नींद आ जाये
सूखेमें बहारें उजड़ीं थीं, सहरामें गुल-ओ-गुलिस्ताँ खिल जाये,
भीड़में मैं हो गया था अकेला, अकेलेसे ही मह
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