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तेरी चाल जैसे किसी साज पे मोरनीका थिरकना
तेरी आवाज़ जैसे किसी धुनपे कोयलका कुहूकना
तेरी निगाहें जैसे बेबाक़ नोकीली तीर का चलना
तू सामने आये तो मुश्किल है तुझसे प्यार करनेसे बचना
तेरी चालमे ऐसा नशा है मैं होशमन्द कैसे रहता
तेरे इक तीर-ए-नज़रसे मैं घायल कैसे न होता
तेरी जादुई अदा की गिरफ़्त से मैं कैसे बच पाता
तू सामने आये तो होश-ओ-आवास कैसे सँभालता
क़ाबू में न था मैं, तेरे इश्क़मे यूँ उलझा हुआ था
बात इतनी बढ़ गयी थी ख़ुद को ही खो बैठा था
दश्त-ए-इश्क बीचों-बीच मेरा क़ाफ़िला भी लुट गया
मेरा जीना मुश्किल और मरना दुश्वार हो गया था
मैं चाहे तुझे कितना भी चाहूँ, तेरा मेरा फासला
चान्द सूरज की नज़दीकियों जितना लम्बा था
चान्दको चाहूँ, पर ना नज़दीक जा सका ना छू सकता था
और ना मै ये दूरियाँ और बर्दाश्त कर सकता था
अब क्या करूँ मेरी ज़िन्दगी मेरे इख़्तियार में ही नहीं
तेरी गलीसे ना गुजरूँ शहरही छोड़ जाऊँ समझता ही नहीं
तेरे पास आना, दूर जाना मेरे बसमे नहीं, मुमकिन भी नहीं
आसान यही है ये जान ही छोड़ दूँ, तो तकलीफ़ ही नहीं
इब्न ए बब्बन
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