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भोली सूरत
भोली सूरत पे तेरे हाय
दिल लगा बैठे हम
बेवफ़ाई को तेरे ऐ जालीम
वफ़ाई समझ बैठे हम
अब सोचते हैं ऐ कम्बख्त
क्या हिमाकत कर बैठे हम
फूल समझके जिसको चूम लेते थे हम
उसमें तो सिर्फ बाहरी रंगत निकली
खुशबू के लिए तरसते रह गये ह
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