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नयनों के अभिराम तुम ही हो मेरे तो घनश्याम तुम ही हो ..।।टेक।।
तुमसे है वर्षा का रंजन ,मेरी इन आँखों का अंजन ।
सरस सुगंध महकता चंदन, प्राणों के प्रिय राम तुम ही हो ।।
नयनों के अभिराम तुम ही हो मेरे तो घनश्याम तुम ही हो ..।।टेक।।
अमृत भरा छलकता प्याला, सजा सलौंना सुंदर ग्वाला ।
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