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नयनों के अभिराम तुम ही हो मेरे तो घनश्याम तुम ही हो ..।।टेक।।
तुमसे है वर्षा का रंजन ,मेरी इन आँखों का अंजन ।
सरस सुगंध महकता चंदन, प्राणों के प्रिय राम तुम ही हो ।।
नयनों के अभिराम तुम ही हो मेरे तो घनश्याम तुम ही हो ..।।टेक।।
अमृत भरा छलकता प्याला, सजा सलौंना सुंदर ग्वाला ।
देवों के अधरों की हाला, साँसों पर जो नाम तुम ही हो ।।
नयनों के अभिराम तुम ही हो मेरे तो घनश्याम तुम ही हो ..।
मनमौजी पावस का मोर, मदमाते बसंत का सोर ।
शरद काल की खिलती भोर, सजन सांवरे श्याम तुम ही हो ।।
नयनों के अभिराम तुम ही हो मेरे तो घनश्याम तुम ही हो ..।
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