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पैरों से लिपटा कर गम,
आंखों से नीर बहाते हो,
तन्हा जीने की आदत है,
दुनिया को दोष लगाते हो।
आंखों से नीर बहाते हो,
तन्हा जीने की आदत है,
दुनिया को दोष लगाते हो।
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