संसार का नहीं हूं's image
Poetry1 min read

संसार का नहीं हूं

गणेश मिश्रागणेश मिश्रा April 18, 2023
Share1 Bookmarks 53 Reads0 Likes
कोई मिले हमसफ़र जो जिस्मानी ना हो ,
जिस्म हो मगर जिस्मानी ना हो ,
खैर ऐसो से तो मुलाकात कहा हुई ,
जिसके शब्द केवल प्रभावकारी ना हो ,

मैं ज़ीने की कोशिश करता हूं ,
मुझे ये जहां प्रपंच दिखता है ,
जितने भी मुकाम है सब व्यर्थ लगता है।

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts