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कोई मिले हमसफ़र जो जिस्मानी ना हो ,
जिस्म हो मगर जिस्मानी ना हो ,
खैर ऐसो से तो मुलाकात कहा हुई ,
जिसके शब्द केवल प्रभावकारी ना हो ,
मैं ज़ीने की कोशिश करता हूं ,
मुझे ये जहां प्रपंच दिखता है ,
जितने भी मुकाम है सब व्यर्थ लगता है।
जिस्म हो मगर जिस्मानी ना हो ,
खैर ऐसो से तो मुलाकात कहा हुई ,
जिसके शब्द केवल प्रभावकारी ना हो ,
मैं ज़ीने की कोशिश करता हूं ,
मुझे ये जहां प्रपंच दिखता है ,
जितने भी मुकाम है सब व्यर्थ लगता है।
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