
Share0 Bookmarks 0 Reads0 Likes
मैं जब जब भटका हूं , स्वार्थ पर चलता हूं ,
मैं जब जब भटका हूं , विचार गढ़ता हूं ,
मैं जब जब भटका हूं , अतीत दोहराता हूं ,
मैं जब जब भटका हूं , विचलन में पढ़ता हूं ।
कई बार यूं संसार से भीड़ता हूं ,
बहुतों बार टूटा हूं कभी कभी तोड़ जाता हूं ,
तोड़ते ही एक गुमान आता है
मैं जब जब भटका हूं , विचार गढ़ता हूं ,
मैं जब जब भटका हूं , अतीत दोहराता हूं ,
मैं जब जब भटका हूं , विचलन में पढ़ता हूं ।
कई बार यूं संसार से भीड़ता हूं ,
बहुतों बार टूटा हूं कभी कभी तोड़ जाता हूं ,
तोड़ते ही एक गुमान आता है
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments