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हारी हुई लड़ाई लड़ रहा हूं मैं ,
सबने हारा है फिर भी बीड़ा उठाया हूं मैं ,
क्या जीवन में मजा जब दर्द भी चोटिल नहीं ,
बिना सहे कौन बता सकता है सहने का मजा ,
कैसे मैं मिटता और कैसे नया प्रतिफूलित होता ,
आराम तो बहुत करना यहां आराम क्या करना ,
वो कदम ही क्या चला जिस पर छाले ना पड़ा ,
मैं सोचा , विचारा , फिर लेता किनारा ,
ना मिला किसे भी ना मिल मैं सकूंगा ,
मैं ना रूकूंगा , हर पल को सहूंगा ,
है जब तक सांसे मैं तेरा हूं और रहूंगा।
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