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जो मुझमें दिख गया , मैं लिख गया ,
दुःख देवता है क्योंकि दुःख देता है ,
मैं जितना ले नहीं सकता उससे ज्यादा देता है ,
आज मैदान साफ है लगा ,
पर लगा , इसका भी भनक लग गया
साफ पकड़ा गया।
उम्मीदें जितनी लगाई है सब खाई है ,
ऐसी कोई उम्मीद एक भी नहीं जो अब तक टिक पाई है ,
पर है जो एक बना पुराना बैठा है ,
नाम पता भी नहीं पर मुझमें रहता है ,
बांते अपनी संकेत स्त्रोत से करता है।
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