दिशा भ्रमित's image
Share0 Bookmarks 0 Reads0 Likes
लिखना जो बन्द था , अहंकार मन गुल गया ,
लत तोड़ने लगा , तर्क का नर्क चलने लग गया ,
पढ़ता था जो खाली समयों में , खाली संसार से भर गया ,
चक्र में पुनः फसा , फिर से एक हार को जड़ गया ।
भ्रमण के

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts