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भाषा खोने से डरता हूं , भाषा का मूल समझता हूं ,
सुक्ष्मता इस भाषा में है , निजी भाषा निज पाषाण से है,
भाषा धारणा बनाता है , समझ - बूझ जगाता है ,
संत समागम , गंगा , तिरंगा , निज भाषा से आता है।
भाषाएं भाई- जन बनाते हैं , मित्रता प्रेम फैलाते हैं ,
भाषा से जिसको गैर न
सुक्ष्मता इस भाषा में है , निजी भाषा निज पाषाण से है,
भाषा धारणा बनाता है , समझ - बूझ जगाता है ,
संत समागम , गंगा , तिरंगा , निज भाषा से आता है।
भाषाएं भाई- जन बनाते हैं , मित्रता प्रेम फैलाते हैं ,
भाषा से जिसको गैर न
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