नया हर पल है किरदार वहीं है ,
बदलने-वाला किरदार नहीं है ,
बदलता तो बुलबुला है ,
यहां कोई नहीं बुलबुला है ,
बात साफ है सीधे हूं
या भींगे हूं ,
कहता हूं जो वचन उसे क्या जीता हूं?
इतना ही काफी है ,
कर्ता का बात भी कर दूं या ज्जबात कह दूं ,
ना कहूं तो भी हया है ।
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