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ज़ंजीर तोड़ो आसमां में तैरना सीखो सभी,
ये चारदीवारी नही है अब तुम्हारी ज़िंदगी।।
© गणेश गोरखपुरी
ये चारदीवारी नही है अब तुम्हारी ज़िंदगी।।
© गणेश गोरखपुरी
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