एक ग़ज़ल's image
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नया कुछ भी नही है, इश्क़ का मतलब,
समझ लो दूसरों को है इश्क़ का मतलब।


कभी हैं बोलती ख़ामोश आँखें भी,
निगाहें जानती हैं इश्क़ का मतलब।


अकेला शख़्स ख़ुद महसूस करता जब,
नहीं है जानता, वो इश्क़ का मतलब।


टहल कर लोग आ जाते बिना जाए,
जिन्हें मालूम है अब इश्क़ का मतलब।


© गणेश गोरखपुरी

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