एक ग़ज़ल's image
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दुआ हमारी क़ुबूल कर लो, तुम्हारी दुनिया से जा रहे हैं,
भुलाना होगा सभी को हमें, तुम्हारी दुनिया से जा रहे हैं।

सभी तरफ़ सिर्फ़ झूठे हैं लोग, नही कोई है सच्चा यहां पे,
न देखा जाए आलम उनका, तुम्हारी दुनिया से जा रहे हैं।

कभी तुम्हारा जब मन हुआ तो, हमें कुछ ऐसे तुम बनाना,
मुख़ातिब न हो इंसां की बस्ती, तुम्हारी दुनिया से जा रहे हैं।

मुझे बनाकर फिर उसे बनाना, और बनाना मुझे शहज़ादा,
अधूरा है होता गरीबों का इश्क़ तुम्हारी दुनिया से जा रहे हैं।

किसी को कोई दोष क्यूं देना, किसी की कोई खता नही है,
हमें तो मारा हमारी मुफ़लिसी, तुम्हारी दुनिया से जा रहे हैं।

हसीं लोगों का दिल कहां है, दिखावे का सिर्फ़ हुस्न उनका,
तुम्हें ना आता है इश्क़ करना, तुम्हारी दुनिया से जा रहे हैं।

© गणेश गोरखपुरी 

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