ज़ख्म नासूर है तो क्या हुआ
मरहम भी हमारा शर्तिया है,
उसने बुरा बोला तो क्या हुआ
हमारे बारे में बात तो की है,
उसे छुटकारा पाना है तो क्या हुआ
हमसे कुछ माँगा भी तो है,
वो हमसे मोहब्बत नहीं करेगा तो क्या
उसने कुछ तो करने की ठानी है
~ गजेन्द्र सिंह(अलिख)
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