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तुम मेरी आखरी मोहब्बत हो ज़ीनत।

Gulsher AhmadGulsher Ahmad December 12, 2022
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मुझे तुमसे कुछ कहना है ज़ीनत,
बैठो कि मैं तुमसे कह सकूं कि
मेरा दिल कट रहा है ज़ीनत।

मेरी आरज़ू तुम्हारी ख़ुशी से ज़्यादा कुछ भी नही लेकिन
मेरी तुमसे मोहब्बत मुझे इस बात की इजाज़त नहीं देती
कि मैं तुमको किसी और के साथ देख कर खुश भी हो जाऊं ज़ीनत।

तुम मेरे लिए उस दरिया की ख़ामोश साहिल हो जिसके अंदर तूफान मचा हुआ है ज़ीनत; 
मैं उस तूफान में भटक रहा हूँ और तुम जैसे ख़ामोश साहिल की खोज में हूँ।

मैं तुम्हारे पास ठहर जाना चाहता हूँ ज़ीनत,
मैं तुम पर मर जाना चाहता हूँ ज़ीनत।
मैं मरना भी चाहता हूँ तो बस तुम-तक पहुँचने के बाद ज़ीनत।

तुम खुश हो; माशा-अल्लाह! मैं यही तो चाहता हूँ ज़ीनत।
लेकिन एक कोई आशिक, कोई दीवाना मुझे देखेगा तो मेरी आँखों के बोझ को समझ सकेगा।
वही बताएगा कि किस कर्ब से मैं गुज़र रहा हूँ।

तुम मेरे लिए हर ख़ामोश रात की आख़री पहर जैसी हो ज़ीनत।
जहाँ हर कोई बहुत सुकून से सो रहा होता है और ऐसे सो रहा होता

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