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पुस्तक समीक्षा : गुगली

Gulsher AhmadGulsher Ahmad September 16, 2021
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पुस्तक समीक्षा : गुगली

लेखक : ज्ञानेश साहू

प्रकाशक : राजपाल


जब मैंने ये किताब पढ़ते हुए समाप्त किया तब आख़री पन्ने पर लिखा था "सच बताना कहानी सुनकर अपने दिन याद आ गए ना?"


किताब पढ़ने के बाद कोई भी ये लाइन पढ़ कर कह ही नहीं सकता कि उसे उसकी स्कूल के जीवन की स्मृतियों से प्रेम नहीं और वो उन्हें याद नहीं कर रहा या वो अपने स्कूल के दोस्तों को याद नहीं करता। वो लोग बहुत खुशनसीब होते हैं जिनके दोस्त स्कूल के बाद कॉलेज में भी साथ रहते हैं और उससे अधिक खुशनसीब तो वो हैं जो कॉलेज के बाद भी कोई "स्टार्ट अप" करके या कुछ "व्यापार" करके एक साथ रहते हैं। क्योंकि दोस्तों के साथ खेलते हुए, पढ़ते हुए, काम करते हुए या खाली फोकट में बैठे ही कब समय गुज़र जाता है पता ही नहीं चलता। और बिगड़ता काम भी इतना आसान हो जाता है जैसे कुछ हुआ ही नहीं।


'गुगली' भी ऐसे ही कुछ दोस्तों की कहानी है जो 2007 के 'वर्ल्ड कप' से शुरू होती है। फिर ये पढ़ना बहुत दिलचस्प होगा कि कैसे इनका जीवन, सपना और भविष्य 2011 के "वर्ल्ड कप" से जुड़ जाता है। दोस्तों का एक साथ हॉस्पिटल में लगे टीवी पर वो मैच देखना जिससे, इनके सपने, उम्मीदें और भविष्य जुड़ा है, एक अलग ही रोमांच पैदा करता है और साथ ही आपको भावुक भी करता है। भावुक इस लिए कि किस कारण से इतना महत्वपूर्ण मैच वो हॉस्पिटल में देख रहे थे?


अगर हम स्कूल की बात करें और उसमे प्यार और दोस्ती ना हो तो ये हो ही नहीं सकता। "गुगली" में ख़ूब सारा प्यार है और अटूट दोस्ती का सम्बन्ध। प्यार को पा लेने की उम्मीद है और कुछ गलतियों के पश्चाताप के लिए एक साधना की तरह मेहनत भी है। किताब के शीर्षक से ही आपको पता चलता है कि इसमें ख़ूब सारा क्रिकेट होगा। जैसा कि हम सब जानते हैं कि हमारे देश में क्रिकेट एक धर्म की तरह है और उसी धर्म की आस्था में विलीन मिलेंगे इस "गुगली" के किरदार।


"ज्ञानेश साहू" जी इससे पहले अपनी दो पुस्तकों से अपनी लेखनी का लोहा मनवा चुकें हैं। “Start a Start-Up From Start” (2017) और “Destiny: A Thrilling Love Story” (2019) लिख चुकें हैं और पाठकों के दिल में जगह बना चुके हैं। मेरे लिए ये किताब पढ़ना ऐसा रहा जैसे मैं फिर से अपने स्कूल में चला गया हूं। फिर से मुझे मेरे शिक्षकों की डांट और दुलार याद आने लगे।


आपको ये किताब क्यों पढ़नी चाहिए?


प्रस्तुत कृति ‘ज्ञानेश’ जी की तीसरी किताब है। इसमें तो क्रिकेट है ही, तो जो क्रिकेट प्रेमी हैं उन्हें खूब पसंद आएगी लेकिन साथ ही साथ एक कच्ची लेकिन सच्छी प्रेम कहानी के परिपक्व होने की प्रक्रिया भी है। ये पढ़ना आपको पसंद आएगा कि इस प्रेम कहानी का अंत क्या है?


साथ ही इसमें आपको दोस्तों के बीच की छूट

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