
हर व्यक्ति अपने जीवन में एक बार छात्र ज़रूर होता है फिर उसके बाद अपने जीवन की आगे की यात्रा को शुरू करता है। छात्र का जीवन एक ऐसा जीवन होता है जिसमे हमें अनेक अनुभव मिलना शुरू होता है। खूब सारे दोस्त बनते हैं। छात्र हमेशा पढ़ाई के साथ-साथ लड़ाई-झगड़े, दोस्ती-प्यार, खेल-कूद, और खूब सारी मस्ती-मज़ाक करते हैं लेकिन एक छात्र का जीवन दो हिस्सों में बटा होता है। दिनों भाग के अपने-अपने अनुभव होते हैं।
१. छात्र का स्कूल जीवन
२. छात्र का प्रवासी जीवन
ऐसे बहुत कम ही छात्र मिलेंगे जिनका जीवन ऐसे दो भागों में नहीं बंटा हो। ऐसा तभी हो सकता है जब कोई छात्र अपना छात्र जीवन छोड़ कर अपने किसी व्यवसाय या किसी काम-काज में लग जाए। ये सब किसी भी छात्र के पारिवारिक परिस्थिति पर निर्भर हो सकता है। लेकिन अधिकतर बच्चे होते हैं जो अपनी स्कूल की पढ़ाई ख़त्म करके आगे बढ़ते हैं और अपने कॉलेज की पढ़ाई पूरी करते हैं।
यहीं से किसी भी छात्र का प्रवासी जीवन शुरू होता है। जब कोई छात्र अपने लिए कॉलेज की पढ़ाई का सोचता है तो बहुत कम ऐसे छात्र होते हैं जिन्हें उनके घर के पास या उनके शहर में ऐसा महाविद्यालय मिलता है जिसमे वो अपने पसंद के कोर्स की पढ़ाई कर सके। जब उसे अपने घर के पास ऐसा कॉलेज नही मिलता है तब उसे प्रवासी बनना ही पड़ता है और वो आगे निकल कर किसी दूसरे शहर की तरह बढ़ता है जहाँ उसे अपने पसंदीदा विषय की पढ़ाई करने में आसानी होती है।
दोनों जीवन के अलग अलग लाभ और नुकसान होते हैं। अलग अलग संघर्ष होते हैं। जिस छात्र को अपने घर के पास कॉलेज मिल जाए उसे तो बहुत मज़े होते हैं लेकिन जिन छात्रों को प्रवासी जीवन व्यतीत करना पड़ता है वो बहुत अधिक संघर्ष करते हैं।
प्रवासी छात्र के जीवन में सबसे पहले जो संघर्ष सामने आता है वो खाना और रहने का होता है। जब घर से दूर किसी छोटे से कमरे को ही अपना घर मान कर अपने सपने पूरे करने के लिए एक छात्र संघर्ष शुरू करता है तो वो अपने घर को भूलने की कोशिश करता है। लेकिन हर दिन उसके जीवन में दो समय ऐसा आता है जब उसे घर की अधिक याद आती है। दोपहर के खाने का समय और रात के खाने का समय।
एक छात्र को खुद के लिए खाना बनाना ही पड़ता है। उसके बाद यदि किसी छात्र को घर की याद आती है तो वो समय होता है कपड़े धोने का। कपड़े धोते समय वो घर को ऐसे याद करते हैं जैसे कोई छोटा बच्चा अपनी माँ से बिछड़ गया हो।
छात्र का स्कूल जीवन भी संघर्षमय होता है लेकिन चुंकि वो अपने माँ-बाप, भाई-बहन के साथ, अपने परिवार के साथ रहता है तो कोई भी संघर्ष, कोई भी परेशानी उसे बड़ी नही लगती है। लेकिन जब वही छात्र अपने कॉलेज की पढ़ाई के लिए दूसरे शहर या दूसरे देश जाता है तो उसको सबसे अधिक उसके घर की याद आती है।
पढ़ाई भी एक संघर्ष है लेकिन चुंकि हर छात्र जानता है कि उसे ही ये संघर्ष करना है तो वो इतना परेशान नहीं होता है जितना खाना बनाते और कपड़े धोते हुए होता है। क्योंकि सभी को पता होता है कि इन कामों को हमेशा से उनके घर से मदद मिलती रही है और यहाँ कोई भी मदद को नही है।
छात्र जीवन में और भी अनेक अनुभव होते हैं। जैसे छात्र राजनीति, खेलों में भागीदारी, हॉस्टल की सख़्ती और लड़ाईयाँ, मालिक मकान की रोक-टोक। ऐसे अनेक अनुभव होते हैं जो छात्र को अंदर ही अंदर महबूत कर रहे होते हैं। लेकिन प्रवासी छात्रों के अपने मज़े भी होते हैं। बिना घर वालों के रोक-टोक से, कहीं भी आने जाने की अनुमति से आज़ाद घूमने वाले बच्चे कई बार ऐसी परिस्तिथियों में पिसते भी है।
बाक़ी हर छात्र के जीवन का अपना अलग ही किस्सा और अनुभव होता है जो बहुमूल्य होता है। एक बार छात्र जीवन ख़त्म हो जाने के बाद हर व्यक्ति ये चाहता है कि काश से वही छात्र जीवन फिर से उसे जीने को मिल जाए।
~"अहमद"
तस्वीर: द हिन्दू डॉट कॉम
Illustration: Satheesh Vellinezhi
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