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हर मुरझाए फूल को किसी रोज खिल जाना है ,
सूखी पड़ी इन नदियों को किसी रोज फिर बहना है।
किसी एक शख्स को कब तक जहन में रखे,
आखिर भुला के सब हमे फिर मुस्कुराना है, तुम्हारी याद का क्या है उसे तो रोज आना है...
~fateh Singh udawat
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