नया साल's image
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हंसते हुए आएं हैं नए साल में पिछला भले ही बीता हो मलाल में,
वादे खूब है खुदसे जानते है जो उड़ जाएंगे होली के गुलाल में।

कुछ घंटों की रौनक है फिर उलझ जाएंगे रोजमर्रा के बवाल में,
काश वक्त भी बदले अब सिर्फ कैलेंडर नहीं हॉल की दीवाल में।

सोचा है टेनिस खेलेंगे हर हफ्ते खुदको ही जो देखते थे नडाल में,
इन्वेस्टमेंट भी करेंगे और खूब नोट छापेंगे अपनी ही टकसाल में।

छोटा ही सही एक आशियाना तो ले लें देखेंगे जब पहुंचेंगे महल में,
पोर्चे है पहुंच के बाहर क्यों न टाटा या महिंद्रा चला लें इस साल में।

दिमाग भी ठंडा रखेंगे और न लेंगे कोई कीमती फैसला ज़लाल में,
खुद पर भी कुछ काम करेंगे कब तक चलेंगे इस धीमी भेड़ चाल में,

कुछ दिन तो अभी हम साल ही गलत लिखेंगे पिछले के खयाल में,
मार्च और अप्रैल भर तो बस फंसे रहेंगे टैक्स बचाने के सवाल में।

मई जून तो सूर्य देव भी तपायेंगे और पसीना भरा होगा रूमाल में,
अगस्त भर इंद्र देव लगा देंगे गिले कपड़ों और छाते के जंजाल में।

फिर अक्टूबर तक फुरसत कहां त्योहारों और सेल के मायाजाल में
अब दिसंबर तक ईयर एंड और अप्रेजल का प्रेशर होगा कपाल में।

कैसे होंगे वादे पूरे और कैसे बदलेगी तकदीर इस खस्ता हाल में,
फिर करेंगे कुछ वादे और इरादे जो पक्का पूरा करेंगे अगले साल में,

इब करेंगे कुछ तूफानी ऐसा कि हम भी रहें दुनिया की मिसाल में।
बस इतना कर दे ऐ खुदा कि तेरा साया हो मेरे हर एक आमाल में।

एकलव्य

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