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मनहरण घनाक्षरी छंद

Pandit Narendra DwivediPandit Narendra Dwivedi March 9, 2023
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जब गीत प्रेम के हैं, मधुर मिलन वाले,,
वियोग की तुम बाते, हमसे बतराओ न,,

प्रेम हैं अधूरा प्रिय, तप साधना तो फिर,
आधे अधूरे सपन, हमखा दिखलाओ न,,

विष मीरा ने है खाया, प्रभु प्रेम में जो पड़,
मीत की प्रीत हमखा, तुम फिर सुनाओ न,,
    ✍️ पंडित नरेन्द्र द्विवेदी ✍️

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