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2122/1212/22
दोस्त इसमें दगा नहीं होता,
इश्क़ कोई सजा नहीं होता,,

चोट पत्थर मुझे अगर देते,
नाम तेरा लिखा नहीं होता,,

हम ख़ुशी से ख़रीद लेते गम,
तू अगर जो बिका नहीं होता,,

इक सड़क पार खा गई अन्धा,
आपको दुख ज़रा नहीं होता,,

वो हसीना न बाटती मुझको,
आदमी जो मिला नहीं होता,,

देख सम्मान भी किया तेरा,
मैं वगरना खड़ा नहीं होता,,

साँप को दूध भी पिलाता मैं,
साँप जो बेवफ़ा नही होता,,

रात खा लेती रौशनी "पंडित",
दिल अगर ये जला नहीं होता,,
  ✍️पंडित नरेन्द्र द्विवेदी✍️ 

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