0 Bookmarks 26106 Reads0 Likes
क़लम अब रुक गई है, उंगलियां भी थक गई शायद....
लफ्ज़ अंगड़ाइयाँ लेने लगीं हैँ, ख्वाहिशेँ भी बहक गई शायद....
दिल ये न जाने क्यूँ कुलांचे भर रहा है....
हाय.... ये तो याद तुझको कर रहा है....
ख़ुद पे अब काबू नहीं है ज़रा भी.... क्या करूँ मजबूर होता जा रहा हूँ....
ख़ुद को तुझसे दूर कर देने की कोशिश में, ख़ुद ही ख़ुद से दूर होता जा रहा हूँ....
मैं ग़र मिलने बुलाऊं.... मत चली आना बुलावे से .....
बहक जाना नहीं तुम.... मेरे कोई भी दिखावे से....
पर.... मेरा दिल ग़र मचल जाए तो मुझको माफ़ कर देना....
मेरी नीयत बदल जाए तो मुझको माफ़ कर देना....
पकड़ लूँ हाथ तेरा.... रोक देना तुम वहीँ मुझको....
कमर पर उंगलियां हों.... टोंक देना तुम वहीँ मुझको....
नहीं नज़दीक आना.... खींच कर बाँहों में ले लूंगा....
सम्हल जाना.... नहीं तो इश्क के मैं घाव दे दूंगा....
मेरी कुछ गर्म साँस
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments