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सज़दा मांगो तो मिलता नहीं है, बल्कि सज़दा हो जाता है,

दीदार मांगो तो मिलता नहीं है, दीदार रब दा हो जाता है!


यूँ तो रुस्वाइयाँ भी होती है हमसे, राज़ी भी हमसे होते हैं,

धोख़ा भी हम खाते हैं फिर भी ऐतबार सब दा हो जाता है!



दुनिया मलंग कहती है, फ़क़ीर, यमला, दीवाना कहती है,

जब रूह मिल गयी उससे, फिर ये यार सब दा हो जाता है!


बड़े देर से आये मेरे दर पे, हुज़ूर! मगर आप आये तो सही,

आपका इंतज़ार कर लिया, अब इंतज़ार सब दा हो जाता है

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