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प्रियतमा

drhim86drhim86 June 16, 2020
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उसके विस्तार में मेरा अंश मिल गया,

प्रेम में उससे विरह का दंश मिल गया!

न रूठ पाऊं उससे न उससे मिलना है,

आत्मा का वो प्रिय अंश, वो प्रियतमा है!


विस्तार विस्तृत है उसका गर अनंत तक,

उसको संजो के रखना है, मुझे अंत तक!

वो ही मेरी हर बात है, वही दिन-रात है,

मेरी त्रुटि का कारण है वो, वो ही क्षमा है

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