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भगिनी करती भाई की,
मीठी सी मनुहार।
वात्सल्य परिपूर्ण स्नेहिल,
राखी का त्योहार।
नेह के धागे में बंधे,
ममत्व कुसुम कचनार।
भाई की कलाई पर,
बहन जाती बंदनवार।
धवल श्रावणी पूर्णिमा,
आत्मजा है तैयार।
घर आंगन में मनता,
राखी का
मीठी सी मनुहार।
वात्सल्य परिपूर्ण स्नेहिल,
राखी का त्योहार।
नेह के धागे में बंधे,
ममत्व कुसुम कचनार।
भाई की कलाई पर,
बहन जाती बंदनवार।
धवल श्रावणी पूर्णिमा,
आत्मजा है तैयार।
घर आंगन में मनता,
राखी का
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