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शीर्षक- अटल
विधा - कविता
दिनांक -16/08/2022
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मेरे बुद्धि कोष में शब्द नहीं,
जिनसे महिमा का गान करूं।
अटल शाश्वत बांके बिहारी,
रत्न को क्या रत्न अर्पित करूं।
वाणी जिनकी गूंजती संसार में,
युग पुरोधा को शत् शत् नमन करू
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